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लेखक:

कामिल बुल्के

जन्म : 1 सितम्बर, 1909 ई. में बेलजियम देश के रैम्सकैपल स्थान में हुआ।| मिशनरी कार्य के लिए भारत आये और यहीं के नागरिक हो गये। प्रयाग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से सम्बद्ध रहकर आपने अपना शोध प्रबन्ध ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास’ (1950 ई.) प्रस्तुत किया। यह अपने विषय का अद्वितीय ग्रन्थ है। मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लू बर्ड’ का ‘नीलपंक्षी’ नाम से रूपान्तर किया (1958 ई.)। इसके अतिरिक्त आपकी दो प्रमुख कृतियाँ ‘अंग्रेजी-हिंदी कोश’ (1963 ई.); तथा ‘सुसमाचार’ : (न्यूटेस्टमेंट के चारों ईसा चरित 1970 ई.)। राँची के सेंट जेवियर्स कॉलेज में हिंदी तथा संस्कृत विभाग के अध्यक्ष रहे। आपका निधन 1984 ई. में हुआ।

रामकथा

कामिल बुल्के

मूल्य: Rs. 599

सुयोग्य लेखक ने इस ग्रंथ की तैयारी में कितना परिश्रम किया है यह पुस्तक के अध्ययन से ही समझ में आ सकता है। रामकथा से सम्बन्ध रखने वाली किसी भी सामग्री को आपने छोड़ा नहीं है।

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